आर्या ओर सर्वज्ञ आराम से सो रहे थे। सर्वज्ञ आर्या के ऊपर फैल कर सोया हुआ था। आर्या ने भीं उसे अच्छे से खुद के ऊपर लेटा रखा था।
लेकिन कोई था जो उन दोनों को बुरी तरह से घूरे जा रहा था। ओर ये था। सात्विक।
उन दोनों मां बेटे को अपनी पैनी नजरों से घूरते हुए उनकी ओर बढ़ गया।
जब से ये पीनट साइज आया है तब से मेरी बीवी बट गई। तीन साल। नहीं नहीं तीन साल नहीं साढ़े तीन साल तक ये मेरी के साथ था। अब भी उसे नहीं छोड़ रहा। _ सात्विक बिल्कुल fustration में आ चुका था।
कुछ सोचते हुए उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई। वोधीरे से आर्या के साइड में लेट गया। ओर एक हाथ की कोहनी बना आकर आर्या को देखने लगा।
बढ़तीं उम्र के साथ वो ओर भी हसीन होती जा रही थी। उसके बिखरे बाल उसकी खूबसूरती में इजाफा कर रहे थे।
सात्विक एक टक उसके चेहरे को देखे हुए उसके माथे पर झुक गया और बड़ा ही आत्मीयता ओर प्यार भरा चुंबन उसके माथे पर अपने तपते लबों से सजा दिया।
उसकी नजर आर्या के सीने पर किसी टेडी बियर के जैसे लिपटे सर्वज्ञ के ऊपर गई। वैसे तो दोनों की बिलकुल नहीं बनती थी। लेकिन फिर भी वो सात्विक की जान था। वो भले ही अपने शब्दो से सर्वज्ञ के प्रति अपना प्यार बया ना करता हो।
सात्विक ने उसके सर पर भी हल्का सा चुम्बन दिया। ओर धीरे से सर्वज्ञ को अपने साइड में लेटाना चाहा।
तो सर्वज्ञ ने ओर भी कस कर आर्या को पकड़ा लिया। सात्विक की भौहें तन गई।
इसे नींद में भी अपनी मां चाहिए होती है। _ सर्वज्ञ को देखते हुए सात्विक ने कहा।
सात्विक ने आर्या को हल्का सा खुद की ओर खींचा। आर्या जरा कसमसाई। सात्विक ने धीरे से आर्या के हाथ को सर्वज्ञ के सर से हटाया और खुद का हाथ रख दिया।
ओर धीरे से सात्विक ने सर्वज्ञ को अपनी दूसरी साइड पर सुला दिया। जहां उसने पहले से ही एक साइड को पूरी तरह से पिलो से कवर कर रखा था।
आर्या को हल्का सा खींच ओर उसे अपने ऊपर सुला दिया।
आर्या भी नींद में कसमसत्ते हुए सात्विक के सर पर हाथ फेरते हुए बोली_ सो जाओ सर्वज्ञ।
आर्या सात्विक को सर्वज्ञ समझ कर उसे पुचकारने लगी। अब जाकार सात्विक के चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान आ चुकी थी। उसने कस कर आर्या को पकड़ लिया और दूसरा हाथ आगे कर सर्वज्ञ को अपनी ओर खींचा ।
तीनों परफेक्ट फैमिली लग रहे थे।
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दूसरी ओर,
मुंबई में ,
एक सुनसान जगह पर राणा ओर शरद खड़े थे। वो जहां खड़े थे3 उस जगह का मुआयना किया जाए तो आसपास सूख चुके पेड़ के पत्ते पड़े हुए थे। चलने पर उनकी आवाज उस जगह पर गूंज रही थी।
शरद के हाथ में दूरबीन था। वो कुछ अच्छी खासी दूरी की जगह को देखना चाह रहा था।
राणा ने कुछ पल रुककर कहा_ कुछ दिखाई दिया?
शरद उसके जवाब को देंने बजाए उसके हाथ में दूरबीन थमा दिया। राणा ने बिना कहे उसके हाथ से दूरबीन लिया और देखने लगा।
कुछ मिनिट बाद राणा हल्का गुस्सा करते हुए बोला_ अगर ऐसे ही चलता रहा तो हमारा इस जंगल से निकलना ना मुम्किन हो जाएगा।
शरद के दिमाग कुछ ओर ही चल रहा था। राणा उसे देखने लगा।
तेरी बेटी कैसी है राणा। _ अचानक ही शरद ने पूछा।
राणा एक पल को चौंक गया। वो शरद को जा समझी में देखने लगा।
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दुबई में,
सुबह का वक्त,
आर्या की आंखें फड़फड़ाने लगी थी। कुछ पल बाद वो पूरी तरह से अपनी आंख खोल देती हैं। उसे महसूस हो रहा था कि किसी ने उस जकड़ कर रखा था।
अगले ही पल आर्या अपनी जगह से हल्का उठ गई। जहां सात्विक ने उसे अपने एक हाथ से पकड़ रखा था। ओर सात्विक की दूसरी बांह पर सर्वज्ञ सो रहा था।
ये देख आर्या के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान आ गई। उसने धीरे से सर्वज्ञ के गाल को सहलाया और धीरे से सात्विक के उपर से उठ गई।
कितने जलने लगे है आप सात्विक। वो भी अपने ही बेटे से भला कोई इतनी जलन रखता है क्या?
आर्य ने नागवार में सर हिलाया ओर वाशरूम की ओर बढ़ गई। उसके जाते ही सात्विक का नाइट स्टैंड पर रखा फोन बजा।
सात्विक ने नींद में ही फ़ोन को उठा कर अपने कान के पास लगा दिया।
सामने से किसी ने जो कहा उसे सुन सात्विक ka चेहरा सख्त हो गया। ।
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